नमस्ते दोस्तों, कैसे हो आप? आज का आर्टिकल होने वाला है, नील शुक्राणु इस विषय के बारे में। दोस्तों, फर्टिलिटी क्लीनिक के बाहर बढ़ते जाने वाली पेशेंट्स की लंबी कतार इस बात को दर्शाती है; कि पुरुष एवं महिलाएं दिन पर दिन यौन रूप से कमजोर होते जा रहे हैं। खासतौर पर, पुरुषों में विविध कारणों की वजह से यौन क्षमता की और प्रजनन क्षमता की कमजोरी देखी जाती है; जिसके चलते उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा, वीर्य की गुणवत्ता तथा शुक्राणुओं की संख्या बहुत ही बुरी तरीके से प्रभावित होती हैं।
इसी के साथ; पुरूषों में बांझपन, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, कामेच्छा की कमी, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन, लिंग की शिथिलता, लिंग में ढीलापन, लिंग के नसों में कमजोरी, लिंग का टेढ़ापन, लिंग का पतलापन तथा लिंग का आकार छोटा होना जैसी विविध प्रकार की सेक्सुअल परेशानियां दिन पर दिन बढ़ती ही जा रहे हैं। पुरुषों में यौन संबंधित समस्याओं के पीछे कई सारे कारण मौजूद होते हैं।
जैसे; व्यायाम का अभाव, गलत जीवनशैली, खराब खानपान की पद्धति, असंतुलित आहार का अत्याधिक सेवन, शराब, धूम्रपान, तंबाकू के पदार्थों का अत्याधिक सेवन, कम उम्र में शारीरिक स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं (जैसे डायबिटीज, हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, थायराइड) बढ़ता हुआ प्रदूषण, अत्यधिक शारीरिक एवं मानसिक तनाव जैसे अनगिनत कारणों की वजह से पुरुष के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ उनका यौन स्वास्थ्य भी बहुत ही बुरी तरीके से प्रभावित हो जाता है।
यौन स्वास्थ्य में खराबी आ जाने पर पुरुषों के सेक्स लाइफ तो खराब होती है; बल्कि सेक्स लाइफ खराब होने पर उनके पर्सनल लाइफ पर भी उसका बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। उपर्युक्त बताएं का यौन संबंधित समस्याओं की वजह से पुरुषों के शरीर में शुक्राणु की संख्या, शुक्राणु की गतिशीलता, शुक्राणुओं की गुणवत्ता तथा शुक्राणुओं का उत्पादन बहुत ही बुरी तरीके से प्रभावित होता है।
ऐसा होने पर पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या दिन पर दिन कम होती जाती है और एक समय ऐसा आता है; कि पुरुषों के शरीर में शुक्राणु का उत्पादन पूरी तरीके से बंद हो जाता है। इस परिस्थिति को “नील शुक्राणु” यानी “अजूस्पर्मिया” कहा जाता है। निल शुक्राणु की इस परिस्थिति के दौरान पुरुष जब भी वीर्य स्खलित करते हैं; तब उस वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बिल्कुल ना के बराबर होती है।
अजूस्पर्मिया का सबसे बड़ा लक्षण होता है; कि लगभग एक साल तक प्रयत्न करने के बाद भी आप की महिला साथी आपसे प्राकृतिक रूप से गर्भधारणा प्राप्त करने में असमर्थ हो जाती हैं। वैसे देखा जाए; तो नील शुक्राणुओं की स्थिति का सही वक्त रहते इलाज किया जाए; तो यह परिस्थिति काफी हद तक नियंत्रित हो पाती है और इसका सही और सटीक इलाज संभव हो पाता है।
नील शुक्राणु की स्थिति का सही तरीके से इलाज करने के लिए आपको डॉक्टर की सलाह देना बहुत आवश्यक माना जाता है। नील शुक्राणु की स्थिति को कंट्रोल करने के लिए और इसका इलाज करने के लिए पुरुषों को आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन करने से भी अधिक लाभ देखने को मिलते हैं।
इसी के साथ, अपने जीवन शैली और आहार के पद्धति में कुछ उचित और विशिष्ट प्रकार के बदलाव करने के बाद भी पुरुषों में स्पर्म की उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
तो आइए दोस्तों, आज जानेंगे; नील शुक्राणु की समस्या के बारे में पूरी जानकारी।
नील शुक्राणु कैसे बनते हैं ? Nil Shukranu Azoospermia Kaise Bante Hai ?
दोस्तों, कई अनगिनत कारणों की वजह से पुरुषों में प्रजनन क्षमता की कमजोरी देखी जाती है; जिसके चलते पुरुष अंदरूनी रूप से यौन क्षमता में कमजोरी का अनुभव करते हैं। पुरुषों के यौन क्षमता में कमजोरी आने पर पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा, वीर्य की गुणवत्ता तथा शुक्राणुओं के उत्पादन पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है।
पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा में गिरावट आने पर पुरुषों के शुक्राणु के उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ता है; जिसके चलते शुक्राणु का उत्पादन कम हो जाता है। इसी के साथ, जीवन शैली से जुड़े कई अन्य कारण जैसे शराब तथा धूम्रपान का अत्याधिक सेवन, अत्याधिक मानसिक तनाव तथा व्यायाम का अभाव जैसे गलत आदतों की वजह से पुरुषों में यौन क्षमता की कमजोरी देखी जाती है और शरीर में शुक्राणु के उत्पादन पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
निल शुक्राणु की स्थिति होने पर विशेष तौर पर लक्षण दिखाई नहीं देते हैं; इसीलिए इस समस्या का जल्दी से पता नहीं चल पाता है। निल शुक्राणु की स्थिति तब उत्पन्न होती है; जब आपके शरीर में शुक्राणु का उत्पादन बहुत ही अधिक प्रभावित हो जाता है और शुक्राणु का उत्पादन बिल्कुल कम हो जाता है। निल शुक्राणु की स्थिति के तहत जब कोई पुरुष वीर्य स्खलित करता है; तब उसके वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या बिल्कुल ना के बराबर होती है।
नील शुक्राणु की स्थिति के दौरान अगर आप सही तरीके से इलाज करवा लेते हैं; तो आप इस परिस्थिति को काफी अच्छे से नियंत्रित कर पाते हैं और इसका सही और सटीक इलाज भी संभव हो पाता है। नील शुक्राणु की स्थिति की समस्या होने पर पुरुष और उनकी महिला साथी प्राकृतिक रूप से बच्चे पैदा करने में पूरी तरीके से असमर्थ हो जाते हैं।
नील शुक्राणु के लक्षण : Nil Shukranu KE Lakshan
नील शुक्राणु जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न ना होने पर पुरुषों को निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं; जिन्हे उन्हें बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना होता है और तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर नील शुक्राणुओं की समस्या के बारे में पता लगाने के लिए उचित परीक्षण करवाना होता है।
- पुरुषों द्वारा अपने महिला साथी को प्राकृतिक रूप से प्रेग्नेंट ना कर पाना; यह निल शुक्राणु का सबसे महत्वपूर्ण और गंभीर लक्षण माना जाता है।
- पुरुषों के स्तनों का आकार बढ़ना।
- वृषणों में सूजन आना और वृषण का आकार छोटा होना।
- स्खलन के दौरान वीर्य की मात्रा बहुत ही कम होना।
- लिंग का आकार सामान्य से कम होना और लिंग के आकार में बदलाव होना।
- शारीरिक संबंध बनाने के बाद पेशाब के रंग में बदलाव आना।
- गुप्त वृष्णता।
- पेडू में दर्द होना।
- किशोरावस्था देरी से शुरू होना।
- कामेच्छा में गिरावट आना।
- लिंग में स्तंभन उत्पन्न करते समय तथा वीर्य स्खलित करते समय कठिनाई का अनुभव होना।
- पेशाब करते समय दर्द होना।
नील शुक्राणु के कारण – Nil Shukranu Ke Karan
दोस्तों, नील शुक्राणु के दो प्रकार होते है; ऑब्सट्रक्टिव एजूस्पर्मिया और नॉन ऑब्सट्रक्टिव एजुस्पर्मिया। नील शुक्राणु की समस्या के कारण उसके दोनों ही प्रकारों के ऊपर निर्भर होते है।
१) ऑब्सट्रक्टिव नील शुक्राणु –
अगर किसी कारणवश पुरुषों के शरीर में शुक्राणु का उत्पादन होने के बावजूद वह स्खलन के दौरान वीर्य में बाहर नहीं आ पाते हैं; तब ऑब्स्ट्रक्टिव नील शुक्राणुओं की समस्या उभर कर आती है। यह समस्या मुख्य तौर पर किसी रुकावट की वजह से पैदा होती है; जिसके अनगिनत कारण होते हैं।
- पुरुषों के वृषण का हिस्सा जहां, शुक्राणु परिपक्व होते हैं; ऐसी जगह पर किसी प्रकार की रुकावट होने पर ऑब्स्ट्रक्टिव नील शुक्राणुओं की समस्या हो जाती है।
- पुरुषों के जननांग में किसी प्रकार की सर्जरी करवाना, चोट या घाव बनना, विशिष्ट प्रकार के इन्फेक्शन होना या अनुवांशिक रूप से कोई असामान्य ता होना; जैसे कारणों की वजह से भी पुरुषों में ऑब्स्ट्रक्टिव एजूस्पर्मिया की समस्या हो जाती हैं।
- इजैकुलेटर डक्ट में किसी कारणवश रुकावट आना।
२) नॉन ऑब्सट्रक्टिव नील शुक्राणु –
निल शुक्राणु की इस स्थिति के दौरान पुरुषों के शरीर में शुक्राणु का उत्पादन पूरी तरीके से बंद हो जाता है या फिर बहुत ही कम मात्रा में होता है; जिसके चलते वह वृषण से बाहर नहीं निकल पाते हैं। नील शुक्राणु के इस प्रकार की समस्या के पीछे निम्नलिखित कारण मौजूद होते हैं।
- विशिष्ट प्रकार का इन्फेक्शन होना।
- जननांग के हिस्से में विशिष्ट प्रकार की सर्जरी करवाना।
- पुरुषों के शरीर में हारमोंस से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होना।
- गुप्त वृष्णता या वृषण मरोड़ या किसी प्रकार की चोट लगना।
- पुरुषों के वृषण में जन्मजात असामान्यता होना।
- वेरिकोसेल की समस्या होना।
निल शुक्राणु को कैसे बढ़ाए ? Azoospermia Nil Shukranu Kaise Badhaye ?
दोस्तों, शरीर में नील शुक्राणुओं की समस्या से राहत पाने के लिए और शुक्राणु के उत्पादन को प्राकृतिक रूप से बढ़ावा देने के लिए पुरुष अपनी जीवनशैली में और आहार की पद्धति में कुछ उचित बदलाव कर सकते हैं।
१) संतुलित आहार –
संतुलित आहार के तहत पुरुषों को अपने आहार में सभी पोषक तत्व से युक्त पदार्थों का समावेश करना चाहिए; ताकि प्राकृतिक रूप से उनके शरीर में शुक्राणु के उत्पादन को बढ़ाया जा सके। अपने आहार में सभी प्रकार की दालें, साबुत अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, पनीर, अंडे, मछली, स्प्राउट, सलाद, दही, दूध, ड्राई फ्रूट्स, सूरजमुखी के बीज और कद्दू के बीज जैसे अनगिनत पोषक तत्वों से युक्त सभी पदार्थों का पुरुषों को अपने आहार में समावेश करना चाहिए। यह सारे ही पदार्थ विशिष्ट प्रकार के पोषक तत्वों से युक्त होते हैं; जो पुरुषों के यौन क्षमता को बेहतर बनाने के लिए और पुरुषों के शरीर में शुक्राणु के उत्पादन को बढ़ाने के लिए बहुत ही असरदार और गुणकारी माने जाते हैं। इन पदार्थों को खाने से पुरुषों के शरीर में शुक्राणु की उत्पादन और शुक्राणुओं की संख्या को बढ़ाया जा सकता है।
२) व्यायाम –
पुरुषों को अपने सोने उठने की आदतें और खाने-पीने की आदतें मेंटेन करने से पुरुषों को अपने शरीर में शुक्राणु के उत्पादन को बढ़ावा देने में काफी हद तक मदद मिल पाती हैं। साथ ही, पुरुषों को हेल्दी लाइफ़स्टाइल के तहत विभिन्न प्रकार की एक्सरसाइज करने से भी फायदा देखने को मिलता है। किगल एक्सरसाइज, प्लैंक एक्सरसाइज, स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज जैसी विशिष्ट प्रकार की एक्सरसाइज का रोजाना किया गया अभ्यास पुरुषों के शरीर में यौन उत्तेजना को बढ़ाता है और सेक्स संबंधित समस्याओं का निवारण करता है।
इसी के साथ; पश्चिमोत्तानासन, हलासन, सर्वांगासन, वज्रासन जैसे योग आसन और भस्त्रिका, भ्रामरी, अनुलोम विलोम, उज्जयी तथा कपालभाति जैसे प्राणायाम करो सना फेस करने से पुरुषों के यौन स्वास्थ्य में बढ़ोतरी देखने को मिलती है और शरीर में शुक्राणु के उत्पादन को भी बढ़ाया जा सकता है।
३) तनाव से मुक्ति –
अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाले तनाव को कम करने के लिए पुरुषों को हमेशा प्रयत्नशील रहना चाहिए। तनाव से मुक्ति पाने के लिए पुरुष अच्छी आदतों का पालन कर सकते हैं और अपना समय कहीं और व्यतीत कर सकते हैं; जिसके चलते उनके मन में तनाव तथा घबराहट के विचार नहीं आते हैं और वह एक खुशहाल जिंदगी जी पाते हैं। तनाव से मुक्ति पाने के लिए पुरुष प्राणायाम, मेडिटेशन या ध्यान धारणा जैसी अच्छी आदतों का पालन कर सकते हैं।
इसी के साथ; अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करना, अपने यौन संबंधित समस्याए लव पार्टनर के साथ शेयर करना और मन में किसी भी प्रकार की चिंता ना करना जैसे छोटे छोटे कदम उठाने से भी पुरुष तनाव जैसी बड़ी समस्या से राहत पा सकते हैं। अतिरिक्त तनाव लेने से पुरुषों के शरीर में शुक्राणु का उत्पादन बहुत ही बुरी तरीके से प्रभावित होता है। इसीलिए, तनाव से मुक्ति पाने के लिए पुरुष हमेशा प्रयत्नशील रहें; ताकि उनके शरीर में शुक्राणु के उत्पादन को और शुक्राणुओं की संख्या को बढ़ाया जा सके।
४) गलत आदतें छोड़ें –
आजकल युवा पीढ़ी में शराब, धूम्रपान, तंबाकू के पदार्थ तथा अन्य नशीली चीजों का सेवन दिन पर दिन बढ़ते ही जा रहा है। इसी कारणवश, कम उम्र में ही पुरुषों में नील शुक्राणुओं की संख्या समस्या उभरकर आती है। इस समस्या को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करने के लिए और अपने शरीर में शुक्राणु के उत्पादन को बढ़ाने के लिए पुरुषों को इन सभी गलत आदतों को त्यागना बहुत ही महत्वपूर्ण बन जाता है। गलत आदतें छोड़ ना इतना आसान भी नहीं होता है; इसीलिए आप किसी इन सभी गलत आदतों को छोड़ने के लिए किसी नशा मुक्ति केंद्र तथा किसे एक्सपोर्ट का सहारा ले सकते है।
निल शुक्राणु का क्या इलाज है ? Azoospermia Ka Ilaj
दोस्तों, अगर पुरुष लगातार एक साल तक असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बावजूद अपने फीमेल पार्टनर को गर्भवती करने में असमर्थ हो रहे हैं, पुरुषों को वृषण में सूजन हो रही है, सेक्स करते समय लिंग में स्तंभन या वीर्य स्खलित करते समय किसी प्रकार की परेशानी का अनुभव हो रहा है; तो ऐसी परिस्थिति में इन लक्षणों को नजरअंदाज बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर नील शुक्राणुओं की सही जांच करवाना बहुत ही आवश्यक होता है।
आमतौर पर, निल शुक्राणु का इलाज इस समस्या के कारण तथा नील शुक्राणु के प्रकार पर निर्भर होता है।
अगर आपको ऑब्स्ट्रक्टिव अजूस्पर्मिया की समस्या है; तो डॉक्टर आपको विशिष्ट प्रकार की सर्जरी करवाने की सलाह देते हैं। इस सर्जरी के दौरान ब्लॉकेज को ठीक करते हुए इस समस्या का इलाज किया जाता है। जैसे ही आपको ब्लॉकेज के बारे में पता चलता है; वैसे ही जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी सर्जरी करने से निल शुक्राणु की समस्या से आपको जल्द ही राहत मिल पाती है।
वहीं दूसरी ओर, नॉन ऑब्सट्रक्टिव अजूस्पर्मिया की स्थिति के दौरान इसका सटीक इलाज करवाने के लिए डॉक्टर स्पर्म रिट्रीवल थेरेपी की मदद लेते हैं। इस थेरेपी के दौरान डॉक्टर एक विशिष्ट प्रकार की सुई की मदद से वृषण में से शुक्राणुओं को सैंपल की तरह निकाला जाता है। बाद में, इस सैंपल को फ्रीज किया जाता है और इन विट्रो फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया के दौरान इसका इस्तेमाल किया जाता है।
नील शुक्राणु का रामबाण इलाज क्या है ? Nil Shukranu Ka Ramban Ilaj
दोस्तों, निल शुक्राणु का समय रहते सही तरीके से इलाज किया जाता है; तो पुरुषों को उम्र भर के लिए इस समस्या से राहत मिल पाती है। नील शुक्राणुओं की समस्या का जितना जल्दी हो सके; उतना जल्दी इलाज करवाना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। नीलू शुक्राणु की समस्या के दौरान डॉक्टर स्थिति की गंभीरता के अनुसार आपको ट्रीटमेंट के बारे में उचित सलाह दे पाते हैं।
कुछ परिस्थितियों में डॉक्टर वैरीकोसेल जैसी समस्या का इलाज करने के लिए वेरीकोसिलेक्टोमी जैसे विशिष्ट प्रकार की ट्रीटमेंट करवाने की सलाह डॉक्टर द्वारा दी जाती है। इस सर्जिकल ट्रीटमेंट के दौरान पुरुषों के जननांगों में बढ़ी हुई नसों को हटाने का काम किया जाता है।
कुछ परिस्थितियों में अगर पुरुषों को हारमोंस की समस्याओं के तहत नील शुक्राणुओं की परेशानी हो रही है; तो ऐसी परिस्थिति में हार्मोन थेरेपी या ट्रीटमेंट करवाने की सलाह डॉक्टर द्वारा दी जाती हैं और नीलू शुक्राणु की समस्या का इलाज किया जाता है।
दोस्तों, जैसे कि हम नहीं देखा; निल शुक्राणु की समस्या होने के पीछे अनगिनत प्रकार के कारण मौजूद होते हैं। इसीलिए, निल शुक्राणु की समस्या का इलाज करने के लिए आपको डॉक्टर की सलाह लेना बहुत ही आवश्यक माना जाता है। डॉक्टर आपके नील शुक्राणुओं की समस्या के पीछे मौजूद कारणों का पता लगाते हैं। जैसे ही उचित कारण का पता चलता है; वैसे ही डॉक्टर आपको विशिष्ट प्रकार की ट्रीटमेंट करवाने की सलाह देते हैं।
निल शुक्राणु का आयुर्वेदिक इलाज – Nil Shukranu Ka Ayurvedic Ilaj
दोस्तों, हमारा आयुर्वेद शास्त्र बहुत ही संपन्न और समृद्ध है; जिसमें मानव जाति से जुड़ी लगभग हर शारीरिक, मानसिक तथा सेक्सुअल संबंधित समस्याओं का समाधान पाने के लिए विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों से निर्मित औषधियों का उल्लेख मिलता है। आयुर्वेद शास्त्र में किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार विशिष्ट प्रकार की दवाइयों का सेवन कर सकते हैं; जिसके चलते प्राकृतिक रूप से उनके निल शुक्राणु की समस्या का इलाज संभव हो पाता है।
१) अश्वगंधा –
दोस्तों, अश्वगंधा को आयुर्वेद शास्त्र में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। पुरुषों की और महिलाओं के यौन संबंधित समस्याओं का निवारण करने के लिए अश्वगंधा का सेवन काफी पुराने जमाने से होता आ रहा है। अश्वगंधा जड़ी बूटी में विविध प्रकार के औषधीय तत्व के साथ-साथ; विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं; जो पुरुषों के यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में बहुत ही सक्षम माने जाते हैं।
अश्वगंधा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट के तत्व पुरुषों के शरीर में फ्री रेडिकल्स को खत्म कर देते हैं; जिसके चलते पुरुषों के शरीर में वीर्य की गुणवत्ता और शुक्राणु की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिलती हैं। अश्वगंधा से निर्मित विविध प्रकार की औषधियों का सेवन करने से पुरुष अपने शरीर में शुक्राणु के उत्पादन, शुक्राणु की गतिशीलता तथा शुक्राणुओं की गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं।
२) शिलाप्रवांग वटी –
अश्वगंधा, शिलाजीत तथा वांग भस्म जैसी प्राकृतिक जड़ी बूटियों से निर्मित शिलाप्रवंग वटि का सही तरीके से किया गया सेवन पुरुषों में नील शुक्राणुओं की समस्या के साथ-साथ; नपुंसकता का भी बहुत ही सटीक तरीके से इलाज करता है। शिलाप्रवंग वटी एक बहुत ही ताकतवर औषधि है; जिसका सेवन करने के बाद पुरुषों के शरीर में शुक्राणु के उत्पादन को बढ़ावा मिलता है और नील शुक्राणुओं की समस्या से उन्हें छुटकारा मिल पाता है। अपनी निल शुक्राणु की समस्या से राहत पाने के लिए पुरुष आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार शिलाप्रवंग वटी का सेवन अवश्य करें; ताकि उनके शरीर में शुक्राणुओं के उत्पादन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ, वीर्य की गुणवत्ता को भी बढ़ाया जा सकता है।
३) चंद्रप्रभा वटी –
गुग्गुल, शिलाजीत, त्रिफला, विविध प्रकार की जड़ी बूटियां एवं मिनरल्स जैसे विभिन्न प्रकार के घटकों से निर्मित चंद्रप्रभा वटी का सेवन पुरुषों में नपुंसकता का इलाज करने के लिए काफी पुराने जमाने से होता आ रहा है। चंद्रप्रभा वटी का सेवन करने के बाद पुरुषों के शरीर में वीर्य की गुणवत्ता और शुक्राणुओं की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिलती हैं। इस दवाई का आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार सेवन करने के बाद पुरुष अपने शरीर में शुक्राणु के उत्पादन, गुणवत्ता, शुक्राणुओं की संख्या तथा शुक्राणु की गतिशीलता में आसानी से वृद्धि कर सकते हैं।
४) शिलाजित –
हिमालय की गोदी में पाई जाने वाली शिलाजीत यह जड़ी बूटी पुरुषों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। शिलाजीत खास तौर पर पुरुषों के लगभग सभी ही यौन संबंधित समस्या का निवारण करने के लिए अकेले ही काफी होती है! शिलाजीत का सेवन करने के बाद पुरुषों के लिंग के हिस्से को मजबूती मिलती है, शरीर में मर्दाना ताकत का अनुभव होता है और सेक्स पावर को भी बढ़ाया जा सकता है।
इन सभी यौन वर्धक गुणों से युक्त शिलाजीत का सही तरीके से किया गया सेवन पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या तथा शुक्राणुओं के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी बहुत ही कारगर माना गया है। निल शुक्राणु की समस्या से छुटकारा पाने के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार शिलाजीत से निर्मित दवाइयों का सेवन पुरुषों को अवश्य करना चाहिए।
निल शुक्राणु की होम्योपैथिक दवा : Azoospermia Ki Homeopathy Dawa
दोस्तों, अपनी नील शुक्राणुओं की समस्या का निवारण करने के लिए पुरुष किसी डॉक्टर की सलाह के अनुसार निम्नलिखित होम्योपैथिक दवाइयों का सेवन कर सकते हैं।
१) लाइकोपोडियम क्वेवाटम –
अगर आप अपने नील शुक्राणुओं की समस्या को लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं; तो आपके डॉक्टर आपको होम्योपैथिक की इस दवाई का सेवन करने की सलाह देते हैं। इस दवाई का सेवन करने के बाद निल शुक्राणु की समस्या से आपको छुटकारा मिल पाता है। डॉक्टर के बताए गए दिशा निर्देशों के अनुसार अगर आप इस दवाई को सही तरीके से सेवन करते हैं; तो आपके शरीर में शुक्राणु के उत्पादन को बढ़ावा मिलता है और शुक्राणुओं की संख्या को भी बढ़ाया जा सकता है।
२) एग्नस कास्टस –
अपने शरीर में आई शुक्राणु की कमी की समस्या से छुटकारा पाने के लिए पुरुष डॉक्टर की सलाह के अनुसार इस होम्योपैथिक दवाई का सेवन जरूर करें। इस दवाई का सेवन करने के बाद शरीर में शुक्राणु के उत्पादन को बढ़ावा मिलता है तथा शुक्राणुओं की गुणवत्ता में भी सुधार देखा जाता है। इसी के साथ, इस दवाई का सेवन ना सिर्फ शुक्राणुओं के उत्पादन को बढ़ावा देता है; बल्कि नपुंसकता का इलाज करने के लिए भी बहुत ही असरदार माना गया है।
३) कैलकेरिया कार्बोनिका –
दोस्तों, जिन पुरुषों को सेक्स करते समय अपने लिंग में स्तंभन उत्पन्न करने में परेशानी होती हैं और वीर्य स्खलित होने में भी अड़चनों का सामना करना पड़ता है; उन पुरुषों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार इस दवाई का सेवन करने से काफी लाभ देखने को मिलते हैं। इसी के साथ, अपने नील शुक्राणुओं की समस्या को लेकर चिंतित होने पर आप डॉक्टर की सलाह के अनुसार इस दवाई का सेवन कर सकते हैं। यह दवाई खाने के बाद आपके शरीर में शुक्राणु के उत्पादन को बढ़ावा मिलता है; जिसके चलते शुक्राणुओं की संख्या, शुक्राणु की गतिशीलता और शुक्राणु की गुणवत्ता में इजाफा होता है।
तो दोस्तों, आज के लिए बस इतना ही। उम्मीद है, आपको आज का यह ब्लॉग अच्छा लगा हो। धन्यवाद।